Opinion about Environmental Pollution in Hindi – पर्यावरण प्रदूषण के कारण, प्रकार, स्रोत और उपाय

आज के लेख में पर्यावरण प्रदूषण को समझाएंगे जिसके अंतर्गत Opinion about Environmental Pollution in Hindi में और पर्यावरण प्रदूषण के कारण, प्रकार, स्रोत और उपाय के बारे में जानेंगे।

सबसे पहले इसकी परिभाषा समझा देते हैं तो वायु, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होने वाला वह अवांछनीय परिवर्तन जो मानव और अन्य जंतुओं या पेड़ – पौधों को हानि पहुचता है पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है। कहने का मतलब इसमें जैसे वायु है जल है स्थल है तो जैसे वायु है तो वायु में एक विशेष अनुपात में विभिन्न प्रकार के गैसे पाई जाति हैं।

Environmental Pollution in Hindi – पर्यावरण प्रदूषण

अगर उस अनुपात में कोई गैस अधिक हो गई है कोई गैस कम हो गई है या कोई अन्य जहरीली गैस मिल गई है ऐसे ही जो जल है जल में भी एक निश्चित अनुपात में इसका संगठन होता है निश्चित अनुपात में तत्व पाए जाते हैं अब इसमें कोई अवांछनीय तत्व बाहर से मिल जाता है या उनमें से कोई अधिक कोई कम हो जाता है तो इस तरह से जल प्रदूषण वायु प्रदूषण या स्थल या भूमि प्रदूषण हो जाता है तो यह सभी मिलकर के पर्यावरण प्रदूषण बनाते हैं।

यानी इन सभी में होने वाला अवांछनीय जो परिवर्तन होता है वह परिवर्तन मानव और अन्य जीव जंतुओं के लिए हानिकारक होता है उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहा जाता है चलिए जानते हैं पर्यावरण प्रदूषण के करण कौन-कौन से होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

1. औद्योगिकरण

औद्योगिकरण उद्योगी से निकालने वाला कचरा वायु और जल दोनों प्रदूषण का करण बंता है यानी उद्योगी से जो निकालने वाला धुआं है वो वायु को प्रदूषण करता है जो धुआं निकलता है हवा को प्रदूषण करता है और अम्लीय वर्षा के लिए जिम्मेदार होता है यानी अम्लीय वर्षा होती है इसके करण और उद्योगी से जो पानी निकलता है अपशिष्ट जहरीला पदार्थ जो निकलता है वो जल में मिल जाता है। इस प्रकार से जल भी प्रदूषण हो जाता है और जल के प्रदूषण होने से जो जली जीव होते हैं उनको नुकसान होता है तो इस तरह से औद्योगिकरण भी पर्यावरण प्रदूषण का कारण है।

2. आधुनिकीकरण

आधुनिकीकरण ने अपनी प्रक्रियाओं से अनेक प्रकार के विषाक्त गैसों, धुँआ एवं विषाक्त रसायन युक्त पदार्थ के माध्यम से जल थल और वायु सभी को प्रदूषण कर दिया है जिससे पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न हो गया है। अब जैसे कोई कम ही दूरी जाना चाहता है तो वो साइकिल से नहीं जाता है गाड़ी से चला जाता है थोड़ी दूर जान के लिए जिससे वाहन का प्रयोग करता है अब वाहन का प्रयोग करेगा तो वाहन वाला यदि वायु प्रदूषण है अन्य प्रकार के प्रदूषण है होंगे ऐसे ही प्लास्टिक का बढ़ता जो उपयोग है यह भी पर्यावरण को प्रदूषण करता है यानी नुकसान पहुचता है।

3. रसायनों का प्रयोग

रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुचाते हैं जो लोग रासायनिक उर्वरक डालते हैं जैसे यूरिया है रासायनिक उर्वरक होते हैं। कीटनाशक जो कीड़े लग जाते हैं खेतों में उनको मारने के लिए कीटनाशक का जो उपयोग किया जाता है। दबाव का जो प्रयोग किया जाता है तो यह उपयोग तो आप करते हैं लाभ के लिए लेकिन इससे हानियां भी हो जाते हैं। जीवाश्म ईंधन के जलने से जहरीली गैस निकलते है जो फसल फ्यूल होते हैं उनके जलने से क्या होता है जहरीली गैस निकलते हैं जो बाद में अम्लीय वर्षा यदि एसिड रेन का करण बनती हैं और ग्लोबल वार्मिंग को भी बढाती है।

4. प्राकृतिक करण

कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन है, बाढ़ है, ज्वालामुखी है आदि भी पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ता है यानी पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होता है ये मिट्टी के कटाव, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि के लिए भी जिम्मेदार होता है और इस तरह से पर्यावरण प्रदूषण फैलता है इन सबके अलावा वृक्षों की अंधाधुंध कटाई भी पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ते है वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और साथ ही साथ जनसंख्या वृद्धि भी पर्यावरण प्रदूषण को बढाती है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार कौन-कौन से होते हैं तो पर्यावरण प्रदूषण प्रमुख रूप से चार प्रकार होते हैं।

  • वायु प्रदूषण
  • जल प्रदूषण
  • भूमि / मृदा प्रदूषण
  • ध्वनि प्रदूषण

वायु प्रदूषण

वातावरण की वायु में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन वायु प्रदूषण कहलाता है जो वातावरण में वायु है उसमें अगर अवांछनीय परिवर्तन हो जा रहा है तो वायु प्रदूषण होता है। मतलब मैंने बताया था की जो वायु है वायु में विभिन्न प्रकार की गैस पाई जाति है और निश्चित अनुपात में होती हैं लेकिन यदि उसमें से कोई गैस अधिक हो गई, कोई गैस कम हो गई या कोई अन्य जहरीली गैस मिल गई तो उसे ही वायु प्रदूषण कहा जाता है। जब धुआं और जहरीली गैस हवा में मिल जाति हैं तो वायु प्रदूषण को जन्म देते हैं और वायु में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जहरीली गैस होते हैं जो सभी जीव जंतुओं को हनी पहुंचती हैं।

जल प्रदूषण

जल में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन जल प्रदूषण कहलाता है। मैंने आपको बताया था की जल में जो जल का संगठन है उसमें जो तत्व पाए जाते हैं वो निश्चित अनुपात में होते हैं यदि उनमें से कोई अधिक हो गया या कोई कम हो गया या कोई अन्य जहरीला तत्व मिल गया तो जल प्रदूषण हो जाता है। जब जल में अशुद्धता अपशिष्ट विषाक्त पदार्थ मिल जाते हैं तो क्या हो जाता है जल प्रदूषण हो जाता है।

लोग नदी, तालाब, नहर और समुन्द्र में कचरा, प्लास्टिक आदि डालते रहते हैं जिससे जल प्रदूषित होता रहता है। जल के प्रदूषित होने से उसके अंदर जो जीव जंतु रहते हैं उनको भी हनी पहुंचती है इस प्रकार से जल प्रदूषण से हैजा, पीलिया और अनेक बीमारियां हो जाति हैं।

भूमि / मृदा प्रदूषण

मृदा में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन मृदा प्रदूषण कहलाता है। अपशिष्ट और अजैव और निम्नीकरण पदार्थ को मिट्टी में मिलने से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। अजैव और निम्नीकरण कचरा मिट्टी को बंजर बना देता है और मिट्टी में जहरीले पदार्थ की उच्च सांद्रता पौधों और मनुष्यों दोनों के लिए हानिकारक होती है।

ध्वनी प्रदूषण

किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को ध्वनी प्रदूषण कहा जाता है। जिससे मानव और जीव जंतुओं को परेशानी होती है इससे यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य करण है और ध्वनि प्रदूषण से बहरापन, चिड़चिड़ापन जैसी अनेक बीमारियां हो जाति हैं।

पर्यावरण को प्रदूषण करने वाले प्रमुख पदार्थ (पर्यावरण प्रदूषण)

पर्यावरण को प्रदूषण करने वाले प्रमुख पदार्थ कौन-कौन से होते हैं यानी पर्यावरण प्रदूषण कौन-कौन से होते हैं।

  1. जमा हुए पदार्थ जैसे – धुआं धूल आदि।
  2. रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट, आर्सिन्स, हाइड्रोजन, फ्लोराइड, फास्जीन आदि।
  3. धातु जैसे – लोहा, पारा, जिंक, सीसा
  4. गैसों जैसे – कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया, क्लोरीन, फ्लोरीन आदि।
  5. उर्वरक जैसे – यूरिया, पोटाश एवं अन्य
  6. वाहित मल जैसे – गंदा पानी है।
  7. पेस्टिसाइड्स में जैसे – डी.डी.टी, कवकनाशी, कीटनाशी।
  8. ध्वनि
  9. ऊष्मा
  10. रेडियोएक्टिव पदार्थ

यह विभिन्न प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण होते हैं चलिए जानते हैं की पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव क्या पड़ेगा?

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पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव में भविष्य की कल्पना हृदय विदारक है अगर पर्यावरण काफी हद तक प्रदूषण होगा तो हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन किट अपने साथ रखनी होगी, शुद्ध पानी पीने के लिए हमें एक-एक बूंद की कीमत चुकाने पड़ेगी इसके अलावा मनुष्यों का जीवनकाल कम हो जाएगा और वह कई खतरनाक बीमारियों के शिकार होंगे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाएगा और हमें जीने के लिए संघर्स करना होगा। एसिड रेन का बढ़ता असर इस धरती पर हर जीवन को खत्म कर देगा।

पर्यावरण प्रदूषण का नियंत्रण और रोकथाम

चली जानते हैं की पर्यावरण का नियंत्रण और इसकी रोकथाम कैसे करेंगे? कुछ बातो का पालन करके और स्वस्थ आदतों को अपना कर हम पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में आसानी से योगदान दे सकते हैं। जैसे

  • साइकिल को प्राथमिकता दें यानी साइकिल का अधिक प्रयोग करें।
  • प्लास्टिक का अधिक उपयोग करने के वजाए बायोडिग्रेडेबल उत्पाद चुन्नी कागज का अधिक प्रयोग करें।
  • लिफाफे का प्रयोग करें।
  • अशुद्ध और जहरीले रसायनों को जल निकायों में प्रवाहित करने से पहले उनका उपचार करें जल निकाय यानी नदी, तालाब आदि जो होते हैं उनमें जैसे- ना डालें।
  • अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने का कार्य करे ताकि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं पेड़ों की कटाई ना करें।
  • नवीनीकरणीय संसाधनों का उपयोग करें और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को सीमित करें।
  • रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा दें। यानी गोबर की खाद, कंपोस्ट खाद डाले रासायनिक उर्वर का प्रयोग ना करें।

दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा नीचे कमेंट करके बताइए यह लेख आपको कैसी लगी और आपके मन में क्या प्रश्न है हमें यह भी बता सकते हैं धन्यवाद..

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